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संत हिरदाराम नगर :- सभी प्राणियों के लिए करुणा का भाव होना आवश्यक है . श्रद्धेय सिद्ध भाऊ

AJAY CHOUKSEY M 9893323269 

संत हिरदाराम नगर :- सभी प्राणियों के लिए करुणा का भाव होना आवश्यक है . श्रद्धेय सिद्ध भाऊ

जीव.जंतु एवं पौधे हमारे लिए वरदान हैंय इनके प्रति संवेदनशीलता होना मनुष्य के कर्त्तव्य है। मनुष्य अपने कर्मों के माध्यम से समाजए पेड़.पौधेए पशु.पक्षी एवं प्रकृति की सेवा कर सकता है एवं पुण्य प्राप्ति कर सकता है। अवसर था परमहंस संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब के आशीर्वाद से एवं उनके उत्तराधिकारी श्रद्धेय सिद्ध भाऊ के स्नेह पूर्ण मार्गदर्शन में संचालित संत हिरदाराम इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट में
छात्राओं में संवेदनशीलता एवं करूणा के संस्कारों के रोपण हेतु एक प्रेरणादायक सत्र के आयोजन का। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वतीए माँ भारती एवं संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। संस्थान के डायरेक्टर डॉण् आशीष ठाकुर ने श्रद्धेय सिद्ध भाऊ का स्वागत किया एवं स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया। इस अवसर पर संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर हीरो ज्ञानचंदानी ने भी छात्राओं को आशीर्वाद दिया। श्रद्धेय सिद्ध भाऊ ने अपना स्नेहपूर्ण आशीर्वचन देते हुए कहा कि मानव योनि सर्वश्रेष्ठ है। मानव शरीर विभिन्न प्रकार के कर्म करने का साधन है । इस भीषण गर्मी में हमें सेवा का अवसर मिला है कि हम सभी प्राणियों को ईश्वर की रचना मान कर उनकी सहायता करें। चिड़िया के लिए दाना.पानी की व्यवस्था करना बहुत ही पुण्य का कार्य होता है। इस कार्य से मन को आत्मसंतुष्टि होती हैए जो अनमोल है। सिद्ध भाऊ जी ने कहा कि सुबह उठकर सबसे पहले स्वयं का पेट भरने से पहले रात भर के भूखे.प्यासे पशु.पक्षियों को सुबह जल्दी उठकर बिना कुछ खाए.पिये दाना.पानी दें। इन प्राणियों की सेवा करने से बलाएं टल जाती हैं। सिद्ध भाऊ ने संत हिरदाराम जी के विचारों एवं जीवन शैली का उल्लेख करते हुए बताया कि वे पशु पक्षियों हेतु कुटिया में दाना पानी का प्रबंध करते थे। वे कहते थे कि सारा जगत पशु पक्षियों का भी है। उन्हें दाना चुगाने से हम सीधे परमात्मा से जुड़ सकते हैंए इसलिए पशु पक्षियों की सेवा परमात्मा की सेवा है। पशु पक्षी हमसे कोई अपेक्षा नहीं रखतेए परंतु हमारी थोड़ी सी देखभाल के बदले में वे हमें बहुत सारा प्यार देने को तत्पर रहते हैं। इनसे अधिक वफादार कोई भी नहीं होता। आपने कहा कि हम सब अलग.अलग रूपों में भगवान की पूजा अर्चना करते हैं। वास्तव में इस सारे जगत को संचालित करने वाली परम शक्ति एक है। हम जैसा दूसरों के प्रति भाव रखते हैंए वही हमें लौटकर मिलता है। उन्होंने छात्राओं से आह्वान किया कि संस्था द्वारा भेंट स्वरूप जो घोंसलाए सकोरे एवं आहार उन्हें मिल रहा हैए उसे वो पक्षियों को प्रतिदिन नियमित रूप से दें। इसके परिणाम स्वरुप उनके जीवन में न सिर्फ सकारात्मक ऊर्जा का संचार होगाए बल्कि जीवन में भी प्रसन्नए रोग.मुक्त एवं सफल रहेगी। 

सिद्ध भाऊजी ने माता.पिता की कुर्बानियों का उल्लेख करते हुए सरल उदाहरण देकर अपनी बात रखी। माता.पिता अपनी संतान की परवरिश में अनेक कुर्बानियां देते हैं। उनकी इन कुर्बानियों का ऋण हम कभी नहीं उतार सकतेए परंतु यदि हम कुछ बन जाते हैंए तो उनका जीवन सार्थक हो जाता है। कार्यक्रम में उपस्थित महाविद्यालय की छात्राओं ने पशु पक्षियों को भोजन एवं पानी की व्यवस्था करने एवं उससे उनके जीवन में आए सकारात्मक परिणाम को भी साझा किया। छात्राओं ने कहा कि मूक पशु पक्षियों को दाना पानी देने से उनके प्रति स्नेह का भाव उत्पन्न होता है साथ ही पूरे ब्रह्मांड में एक होने की भावना विकसित होती है।

इस अवसर पर मीठी गोबिंदराम पब्लिक स्कूल की अकादमिक कोऑर्डिनेटर सुश्री मिनी नायर ने पक्षियों की सेवा की महत्ता को समझाया। आपने छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को सर्वश्रेष्ठ बुद्धि प्राप्त है अतः हम सभी का कर्तव्य पशु पक्षियों के लिए अधिक बनता है। मनुष्य अपनी पीड़ा को बोलकर व्यक्त कर सकता हैए परंतु पशु पक्षी भूखे प्यासे होने के बाद भी इस बात को किसी से साझा नहीं कर सकते। यह हमारा उत्तरदायित्व है कि उनके प्रति संवेदना का भाव रखते हुए प्रतिदिन नियत समय पर उनके लिए आहार एवं जल की व्यवस्था यथासंभव करें। कार्यक्रम के अंत में सिद्ध भाऊ ने सभी छात्राओं को उपहार स्वरूप पक्षियों के लिए सकोरेए घोंसले एवं दाने के पैकेट भेंट किये। इस अवसर पर संस्था के सभी प्राध्यापक गण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉण् कोमल तनेजा ने किया। 

 

 



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