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संत हिरदाराम नगर :- दीपमाला पागारानी संस्कार पब्लिक हा. से. स्कूल में हो रहे दो दिवसीय षिक्षक सेमीनार के दूसरे दिन.....
बिना अनुषासन के सफलता नहीं मिल सकती कर्नल नारायण पारवानी षिक्षक को बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक षिक्षा भी दी जानी चाहिए।डाॅ. वी. एच. राधाकिषन दीपमाला पागारानी संस्कार पब्लिक हा. से. स्कूल में हो रहे दो दिवसीय षिक्षक सेमीनार के दूसरे दिन आज दिनांक 12.06.2023 को पहले सत्र में वक्ता के रूप में कर्नल नारायण पारवानी ‘‘अनुषासन-महत्व और आवष्यकता’’ विषय पर एवं दूसरे सत्र में डाॅ. वी. एच. राधाकिषन प्रोफेसर एक्स डीन एवं एच.ओ.डी., टीचर्स टेक्निकल ट्रेनिंग इन्स्टीट्यूट भोपाल से ‘‘षिक्षण अधिगम को प्रभावी कैसे बनाया जाए’’ विषय पर उद्बोधन देने के लिए उपस्थित हुए। कार्यक्रम का शुभारम्भ आए हुए वक्ता नारायण पारवानी, डाॅ. वी. एच. राधाकिषन, संस्था के अध्यक्ष सुषील वासवानी, सचिव बसंत चेलानी, उपाध्यक्ष सुरेष राजपाल, कोषाध्यक्ष चन्दर नागदेव, लेखापरीक्षक पुरूषोत्तम टिलवानी के द्वारा माँ सरस्वती एवं संत षिरोमणी हिरदाराम साहिब की प्रतिमा पर दीप प्रज्जवलन व माल्र्यापण कर किया गया। तत्पष्चात संस्था के पदाधिकारियों द्वारा आए हुए अतिथि का पुष्प गुच्छ द्वारा स्वागत किया गया। संस्था के सचिव बसंत चेलानी ने संस्कार परिवार की ओर से आए हुए वक्ताओं का स्वागत किया और षिक्षकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज जो हमारे बीच में वक्ता के रूप में उपस्थित हुए है उनकों ध्यान से सुने और जो भी बात समझ में नही आये या जो बात पूछनी हो वह आप पूछ सकते है उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम करने का उद्देष्य यह होता है कि हमारे बीच में जो वक्ता के रूप में उपस्थित होते है वे बहुत ही अनुभवी होते है और आप इनके अनुभव से कुछ ज्ञान ग्रहण करें और बच्चों को भी अच्छी तरह से ज्ञान दें। संस्था के अध्यक्ष सुषील वासवानी ने आए हुए वक्ताओं का स्वागत करते हुए कहा कि आज अपने जीवन को सवांरने के लिए जिसमें अनुषासन का बहुत महत्व होता है, इसी विषय पर उद्बोधन देने के लिए आज हमारे बीच में कर्नल नारायण पारवानी और डाॅ. वी. एच. राधाकिषन उपस्थित हुए है तो हमारा भी कर्तव्य है कि हम उनके विचारों को अपने जीवन में उतारें और बच्चों को भी उसी आधार पर ज्ञान दें। कार्यक्रम में वक्ता के रूप में उपस्थित कर्नल नारायण पारवानी ने कहा कि मैं जब भी यहाँ आता हूं तो मुझे बहुत आनन्द आता है। उन्होंने अनुषासन के बारे में बताते हुए कहा कि बिना अनुषासन के सफलता नहीं मिल सकती, आप जो भी कार्य करते है वह हमेषा नियमों के हिसाब से होना चाहिए, स्कूल में हम लक्ष्य प्राप्त करने के लिए जो भी कार्य करते है अगर उसमें अनुषासन है तो लक्ष्य पाने में सहायता होगी। विद्यालय के बच्चों और टीचर दोनों का समय की कद्र करनी चाहिए जो समय की कद्र करेगा वह तरक्की की ओर अग्रसर होगा। दूसरे सत्र में वक्ता के रूप में उपस्थित डाॅ. वी. एच. राधाकिषन ने कहा कि टीचिंग और लर्निंग दोनों साथ-साथ चलती है। षिक्षक की जिम्मेदारी है कि वह विद्यार्थियों में कुछ ऐसा निर्मित करें जिसमें लगातार गुणात्मक परिवर्तन हो सके। उन्होंने कहा कि षिक्षक को बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ-साथ नैतिक षिक्षा भी दी जानी चाहिए। षिक्षक को हमेषा क्रियात्मक बनना चाहिए तभी वह विद्यार्थियों को क्रियात्मक बना सकता है। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य आर. के. मिश्रा, उपप्रचार्या मीनल नरयानी, प्राधानाचार्या मृदुला गौतम, एवं समस्त षिक्षक षिक्षकाएं उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन षिक्षिका प्रिया थानवानी ने किया कार्यक्रम के अंत में संस्था के कोषध्यक्ष चन्दर नागदेव ने आए हुए वक्ताओं के का आभार व्यक्त किया।
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