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संत हिरदाराम नगर :- समझ, संबंध एवं सुविधा को बढ़ाना ही सच्ची समृद्धि है मोहित श्रीवास्तव

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संत हिरदाराम नगर :- समझ, संबंध एवं सुविधा को बढ़ाना ही सच्ची समृद्धि है मोहित श्रीवास्तव


इच्छाए विचार एवं वस्तु पर नियंत्रण से खुशियों का संचार होता है। संवेदना एवं संयम का भाव अगर मानव जीवन में आ जाएए तो सर्वव्याप्त सुख की प्राप्ति हो सकती है। ये विचार थे मोहित श्रीवास्तव केए जो ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन द्वारा अनुमोदित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम ष्यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूजष् के मुख्य रिसोर्स पर्सन थे।


संत हिरदाराम इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट में आयोजित तीन.दिवसीय कार्यशाला में उन्होंने कहा कि हम अपने बारे में जानने से अधिक दूसरों के बारे में जानते हैं एवं उनका विश्लेषण करते हैं। स्वयं को समझना सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया हैय स्वयं का व्यवहार सुधारने से हम समाज में परिवर्तन ला सकते हैं। स्वयं के अंदर संयम का भाव होए तो सार्वभौमिक समृद्धि अपने आप आ जाती है। यदि स्वयंए परिवार एवं समाज में सहज स्वीकार्यता का समावेश होए तो जीवन मूल्यों का आना स्वाभाविक है। ये विचार थे मोहित श्रीवास्तव के, जो ऑल इंडिया कॉउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन द्वारा अनुमोदित फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम "यूनिवर्सल ह्यूमन वैल्यूज" के मुख्य रिसोर्स पर्सन थे। संत हिरदाराम इंस्टिट
 विचारों का शरीर पर त्वरित प्रभाव होता हैए इसलिए विचारों का शुद्धिकरण आवश्यक है। कार्यशाला के प्रथम दिवस में समसामयिक विषयों जैसे शिक्षा का सम्पूर्ण विकास में योगदानए ख़ुशी एवं समृद्धिए मानव सद्भाव एवं स्वयं सद्भाव पर प्रकाश डाला गया। द्वितीय दिवस में स्वास्थ्यए समृद्धिए पारिवारिक सद्भाव पर विस्तारपूर्वक बात की गयी। अंतिम दिवस विश्वास एवं आदर की भावनाए सामाजिक एवं प्राकृतिक सद्भाव एवं अस्तित्व समभाव पर चर्चा हुई। इस कार्यशाला में प्रतिभागियों ने अपने स्वयं के बारे में जानाए जो सबसे महत्वपूर्ण कार्य होता है। कार्यशाला के तीसरे दिन प्रतिभागियों ने अपने तीन दिन के अनुभवों को साझा किया एवं इस स्वयं.यात्रा को सार्वभौमिक जीवन मूल्यों के दृष्टिकोण से महसूस किया। यह एक अनूठा अनुभव थाए जिसमें सभी ने अपने जीवन को नए आयामए नए प्रयास एवं नए स्वरूप में देखा। एक संकल्प लिया कि सर्वप्रथम स्वयं की अनुभूति की प्रक्रिया को समझेंगे एवं मानव जीवन में मूल्यों को सर्वप्रथम स्वयं से प्रारंभ करेंगेए ताकि सार्वभौमिक स्तर पर एक बेहतर समाज का निर्माण कर सकें। इस कार्यशाला के अंत में संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर हीरो ज्ञानचंदानी एवं डायरेक्टर डॉण् आशीष ठाकुर ने रिसोर्स पर्सन  मोहित श्रीवास्तवए डॉण् राघवेंद्र दुबे एवं ऑब्जर्वर आलोक सोनी को इस कार्यशाला के लिए साधुवाद दिया एवं शॉलए श्रीफल एवं स्मृति चिन्ह से सम्मानित किया। कार्यशाला की समन्वयक डॉण् हर्षा मिश्रा एवं प्रोण् शालू पांडे ने सभी प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया एवं इस परिवर्तन यात्रा के लिए ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन की भूरि.भूरि प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला एक प्रारंभ हैए जिसके कई पड़ाव होंगे। स्वयं परिवर्तनए स्वयं समृद्धि एवं सहज विकास की यात्रा के साक्षी बनते हुए इस तीन.दिवसीय कार्यशाला का सुखद समापन हुआ। 


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