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संत हिरदाराम नगर :- प्यासे कंठो को पानी हेतु जीव सेवा संस्थान की अनुकरणीय पहल........

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संत हिरदाराम नगर :- प्यासे कंठो को पानी हेतु जीव सेवा संस्थान की अनुकरणीय पहल........


इस वर्ष अप्रैल महीना खूब तपा । लू जो कि मई माह के अंतिम पखवाड़े में पड़ती थी, अप्रैल में ही पड़ने लगी। मई आते आते तो स्थिति और गंभीर हो गई है। कई शहरों में तापमान 40 डिग्री के आंकड़े से ऊपर पहुंच चुका है। भोपाल भी, जहां कभी अत्यधिक गर्मी नही पड़ती थी, अब अपवाद न रहा है। पानी की कमी हर ओर दिखने लगी है। सुबह सवेरे ही लोग पानी की व्यवस्था करने लगते हैं। जहां जहां हैंडपम्प लगे हैं, उनमें से कई में पानी काफी कम हो गया है। कुछ तो बिल्कुल सूख गए हैं। प्राइवेट बोरवैलों में भी पानी का स्तर काफी नीचे चला गया है।विगत वर्षों में परमहंस संत हिरदाराम साहिबजी के आशीर्वाद एवं उनके उत्तराधिकारी श्रद्धेय सिद्ध भऊजी की प्रेरणा से जीव सेवा संस्थान ने देश विदेश के दान-दाताओं से अपील की और उनके सहयोग से संत हिरदाराम नगर, गांधीनगर व आसपास के कई गावों में लगभग 100 बोरवेल स्थापित किये गए हैं। प्रत्येक बोरवेल से पाइपलाइनों का जाल बिछाकर सार्वजनिक नल कनेक्शन लगाये गए हैं जहाँ से आस पास के कई घर पानी भरते हैं। इन बोरवैलों के बिजली के मीटर कनेक्शन नज़दीकी घर में लगाए गए हैं और उस घर वाले सहर्ष सुबह व शाम ज़रूरत अनुसार समय 1 से 2 घंटे के लिए बोरवेल चालू करते हैं। बिजली का खर्च, नलों, पाइप लाइनों के रखरखाव आदि का खर्च नव युवक परिषद् वहन करती है । गावों में तो ओवरहेड टैंक बनाये गए हैं ताकि बिजली न होने पर भी पानी की सप्लाई जारी रखी जा सके । जहाँ बोरवेल न लग पाए हैं वहां पानी जीव सेवा संसथान के टेंकरों से पहुँचाया जाता है । इस प्रकार सी.टी.ओ , पूजाश्री नगर व गांधीनगर का कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है जहाँ परमहंस संतजी के इस जल प्रदाय प्रोजेक्ट से आम जनता लाभान्वित न होती हो ।


प्रति वर्ष की भांति, जीव सेवा संसथान की ओर से पूरे उपनगर में जगह जगह भी प्याऊ लगाये गए हैं जिनमें निरंतर टेंकरों द्वारा मटकों में जल भरा जाता है. एक कर्मचारी की ड्यूटी प्रत्येक प्याऊ पर लगाईं जाती है ताकि प्यासे कंठों को इस भीषण गर्मी में शीतल जल मिल सके ।


जीव सेवा संसथान की ओर से प्यासे कंठों को पानी हेतु एक अत्यंत अनूठी पहल भी प्रारंभ की गई है ।संत हिरदाराम नगर रेलवे स्टेशन से दिन भर में कई गाड़ियाँ गुजरतीं हैं ।यात्रियों को शीतल जल मिल सके इस हेतु एक टीम का गठन किया गया है जिसमें जीव सेवा संसथान और उनके सहयोगी संस्थाओं व कार्यकर्ताओं के सहयोग से यात्रियों को पानी पिलाया जाता है। इसमें शहीद हेमू कालानी एजुकेशनल सोसाइटी के बस ड्राईवर व हेल्पर भी सहयोग करते हैं। चूंकि ग्रीष्म अवकाश के कारण स्कूल बंद हैं अत: प्रबंधन ने इन कर्मचारियों की ड्यूटी प्लेटफार्म पर लगाईं है। एक बोरवेल कनेक्शन व एक टेंकर के माध्यम से दोनों प्लेटफार्म पर पानी पहुँचाया जाता है। एक एक हजार लीटर क्षमता की प्लास्टिक की टंकियों में पहले पानी भरा जाता है ताकि यदि किसी कारण से बिजली चली जाये तो पानी की सप्लाई निर्विघ्न रूप से होती रहे। प्लास्टिक की छोटी टंकियों में इन बड़ी टंकियों से पानी भरा जाता है और उनमें बर्फ मिलाई जाती है। इन टंकियों को ट्रालियों पर रखा जाता है ताकि तुरंत, जहाँ प्लेटफार्म पर आवश्यकता हो, पानी पहुँचाया जा सके। जैसे ही किसी गाड़ी के आगमन की सूचना प्रसारित होती है, कार्यकर्ता हाथों में कीपें, स्टील व प्लास्टिक के मग लेकर और ट्राली, जिस पर दो प्लास्टिक की टंकियां रखीं होतीं हैं, के साथ मुस्तैद हो जाते हैं। गाड़ी रुकते ही ये कार्यकर्ता हाका लगाते हैं। “ठंडा पानी, ठंडा पानी”, “फ्री ठंडा पानी” आदि की आवाजों से प्लेटफार्म गूँज उठता है। कई यात्री तो प्लेटफार्म पर नीचे आ जाते हैं और अपनी बोतलों में पानी भरवाते हैं और कई डिब्बे में बैठे बैठे ही खिड़की से बोतल बहार निकाल लेते हैं। कार्यकर्ता दौड़ दौड़ कर यात्रियों को तुरंत पानी उपलब्ध कराते हैं। आनन् फानन में पूरी ट्रेन कवर हो जाती है। कई यात्री कार्यकर्ताओं को आशीर्वाद देते हैं तो कई पूछते हैं कि यह व्यवस्था किसकी ओर से है। एक ही जवाब मिलता है कार्यकर्ताओं की ओर से – “संत हिरदाराम साहिबजी की जय”। इस अनूठी जल प्रदाय व्यवस्था में रेल सुविधा संघर्ष समिति के अध्यक्ष श्री परसराम असनानी की भी अहम् भूमिका रहती है। समिति के कई कार्यकर्ता और उनके मित्रगण इस पावन कार्य में उनका साथ देते हैं। वे न केवल धन से सहायता करते हैं बल्कि स्वयं भी आकर प्लेटफार्म पर यात्रियों को पानी पिलाते हैं। बोरवेल व टेंकर से पानी पर होने वाला व्यय, टंकियों, प्लास्टिक की कीपों, स्टील/प्लास्टिक के जग, बर्फ, ट्रालियों आदि की व्यवस्था जीव सेवा संसथान और नव युवक परिषद् द्वारा की जाती है। यह महती कार्य अप्रेल के दूसरे पखवाड़े से शुरू होकर जून मध्य या, जब तक बारिश नहीं आ जाती, निरंतर जारी रहता है। श्रद्धेय सिद्ध भऊजी भी समय समय पर प्लेटफार्म पर जाकर व्यवस्थाओं की समीक्षा करते हैं और कार्यकर्ताओं को उत्साहित व प्रेरित करते हैं।

उपरोक्त जल सेवा कार्य के अलावा, परमहंस संतजी के कई अन्य सेवा कार्य इस उपनगर व देश के कई भागों में संचालित हो रहे हैं जिससे दीन दुखियों व समाज के अन्य वर्गों की सेवा हो रही है, जिनमें प्रमुख हैं, निर्धन किन्तु मेधावी विद्यार्थियों की पढाई का खर्चा, निःशुल्क नेत्र व यूरोलॉजी शिविर, प्राकृतिक चिकत्सा द्वारा कम खर्चे पर रोगों का उपचार, चिकत्सा सहायता, बुजुर्गों व विधवाओं को राशन व चिकत्सा सुविधा, कम फीस पर स्कूलों व कालेजों द्वारा विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण व संस्कारों से युक्त शिक्षा व्यवस्था, रोजगार उपलब्ध कराने हेतु लाइब्रेरी व केरियर काउंसिलिंग आदि। परमहंस संतजी के समाज सेवा के क्षेत्र में इस अतुलनीय योगदान के कारण ही प्रदेश व केंद्र शासन ने इस उपनगर का नाम बैरागढ़ से बदलकर संत हिरदाराम नगर रख दिया है।

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