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संत हिरदाराम नगर :- संत हिरदाराम गर्ल्स कॉलेज में शिक्षक दिवस के पावन अवसर पर हुआ शिक्षकों का सम्मान

सच्चा शिक्षक मस्तिष्क और आत्मा को आकार देने का काम करता है - डॉ. रविशंकर भारद्वाज राजधानी भोपाल के प्रतिष्ठित संत हिरदाराम गर्ल्स कॉलेज एवं संत हिरदाराम मेडिकल कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथी एंड योगिक साइंसेज फॉर वीमेन में शिक्षक दिवस समारोह बड़े उत्साह और हर्षोल्लास के साथ मनाया गया।इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष आदरणीय सिध्द भाऊ, मुख्य अतिथि प्रो. रवि शंकर भारद्वाज, वरिष्ठ वैज्ञानिक, एमपीसीएसटी, संस्था के उपाध्यक्ष हीरो ज्ञानचंदानी, सचिव घनश्याम बूलचंदानी, सदस्य मनोहर वासवानी, थावर वरलानी, भगवान दामानी, भगवान बाबानी, दोनों महाविद्यालयों के प्राचार्य डाॅ. डालिमा पारवानी एवं डाॅ. हेमांशु शर्मा के साथ समस्त शिक्षिकाएं, ऑफिस स्टॉफ के साथ बड़ी संख्या में छात्राएं उपस्थित थी।
कार्यक्रम का आरम्भ दीप प्रज्जवलन एवं मां सरस्वती की आराधना के साथ हुआ।अपने स्वागतीय उद्बोधन में एसएचजीसी की प्राचार्या डाॅ. डालिमा पारवानी ने विद्यार्थियों के जीवन में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका को बताते हुए कहा कि शिक्षक सिर्फ ज्ञान प्रदान करने वाले ही नहीं, बल्कि उन्हें पारदर्शिता और सच्चाई का प्रतिरूप भी होना चाहिए। पूर्व राष्ट्रपति डाॅ. एपीजे अब्दुल कलाम और समाजसेवी सुधामूर्ति का उदाहरण देते हुए आपने कहा कि अनुशासन और कठिन परिश्रम से प्राप्त ऊर्जा जीवन के अंत तक बनी रहती है। छात्राओं को एकलव्य के भांति स्वयं ही अपने लिए परिश्रम करना चाहिए।नेचुरोपैथी कॉलेज के प्रिंसिपल डाॅ. हेमांशु शर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि इस संस्था में विद्या और संस्कार साथ-साथ सिखाये जाते हैं। आदरणीय सिद्ध भाऊजी के दिखाए मार्ग पर विद्यार्थी एवं शिक्षक दोनों ही नैतिक मूल्यों को अपने जीवन में समाहित कर रहे हैं। मुख्य अतिथि डॉ. रवि शंकर भारद्वाज, वरिष्ठ वैज्ञानिक, एमपीसीएसटी ने शिक्षक दिवस पर अपने अनुभवों को साझा करते हुए एक शिक्षक की भूमिका पर गहरे विचार व्यक्त किए। उन्होंने विनम्रतापूर्वक कहा, मैं आज भी खुद को एक विद्यार्थी मानता हूँ, जो निरंतर सीख रहा है। मेरा कर्तव्य है कि मैं जो भी ज्ञान प्राप्त करूँ, उसे समाज को वापस दूँ। उन्होंने जीवनभर चलने वाली शिक्षा की सतत् प्रक्रिया पर बल दिया और कहा कि एक सच्चा शिक्षक सिर्फ एक मार्गदर्शक नहीं होता, बल्कि वह मस्तिष्क और आत्मा को आकार देने वाला होता है।आपने कहा कि एक शिक्षक जुनून और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है, और शिक्षकों का भविष्य निर्माण में गहरे प्रभाव की ओर इशारा किया।इस अवसर पर सिद्ध भाऊ ने अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में छात्राओं की शिक्षा के महत्व को बताया, छात्राओं को एक उज्जवल और समृद्ध भविष्य के लिए मन लगाकर पढ़ाई करने के लिए प्रेरित किया। आपने ज्ञान प्राप्ति की प्रक्रिया की तुलना एक योगी से की, जो अनुशासन के माध्यम से शक्ति प्राप्त करता है और आलस्य का त्याग करता है। अटल बिहारी वाजपेयी, डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम, और लाल बहादुर शास्त्री जैसे महान नेताओं के उदाहरण देते हुए, उन्होंने बताया कि समर्पण और ईमानदारी सफलता की नींव हैं। उन्होंने कहा, कोई भी आपसे आपकी शिक्षा नहीं छीन सकता, इस प्रकार ज्ञान के स्थायित्व और मूल्य को रेखांकित किया। आपने छात्राओं से कहा कि यदि हम सच्चे और समर्पित नहीं हैं, तो हम विद्या धन को प्राप्त नहीं कर सकते। सिद्ध भाऊ ने छात्राओं को मार्गदर्शन दिया कि वे सार्थक मित्रता का छोटा समूह बनाए रखें और जीवन में आत्म-अनुशासन को महत्व दें। उन्होंने दिनचर्या में एक समय-सारणी का पालन करने की आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि जीवन में अनुशासन और एकाग्रता बनी रहे। कार्यक्रम के दौरान कॉलेज पत्रिका यशस्विनी का विमोचन किया गया, जो इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था।साथ ही विद्यार्थियों ने शिक्षकों की महत्ता को रेखांकित करते हुए उत्साहपूर्वक अपने विचार और अनुभव साझा किए।इस अवसर पर शहीद हेमू कालानी एज्युकेशनल सोसाइटी प्रबंधन द्वारा शिक्षकों को उनकी कर्तव्यनिष्ठा एवं समर्पण के लिए उपहार और पुष्पगुच्छ देकर सम्मानित किया गया।
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