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बैरसिया :- कलश यात्रा के साथ संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का हुआ शुभारंभ।

सुनील सक्सैना (बैरसिया संवाददाता) मोबाइल नंबर 78690 02233 

बैरसिया :- कलश यात्रा के साथ संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का हुआ शुभारंभ।


बैरसिया।। श्रमजीवी पत्रकार संघ बैरसिया के अध्यक्ष राजेन्द्र शर्मा आशीष शर्मा द्वारा बालविहार में संगीतमय श्रीमद भागवत कथा का आयोजन किया गया है कथा 30 सितम्बर से 6 अक्टूबर तक चलेगी गुरुवार को कलशयात्रा निकाली गई कलशयात्रा हनुमान मंदिर शिवाजी चौक से कथा स्थल पहुँची कथा बाचक पंडित दीपक उपाध्याय ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कथा प्रारम्भ कराई कलश यात्रा प्रारम्भ होकर कथा स्थल बालविहार में सम्पन्न हुई कलश यात्रा का नगर निवासियों द्वारा पुष्प बर्षा कर स्वागत किया गया कथा के प्रथम दिन कथा बाचक पंडित दीपक उपाध्याय ने गौकर्ण एवं धुंधकारी की कथा का रसपान कराया कथा बाचक दीपक उपाध्याय ने बताया कि तुंगभद्रा नदी के तट पर आत्मदेव नाम का ब्राह्मण रहता उसकी पत्नी का नाम धुंधली था वह झगड़ालू प्रवर्ति की थी संतान नही होने के कारण आत्मदेव परेशान रहता था वह सोचता था अगर संतान नही होगी तो मेरी मृत्यु के पश्चात पिंडदान कौन करेंगे कथा बाचक दीपक उपाध्याय ने आगे कथा सुनाते हुए कहा कि आत्मदेव जंगल मे एक ऋषि से मिलने गए और सारी समस्या बताते हुए कहा कि मेरे कोई संतान नही है और मेरी गाय के भी कोई संतान नही है तब ऋषि ने एक फल आत्मदेव को दिया और कहा कि यह फल अपनी पत्नी को ख़िला देना संतान हो जाएगी आत्मदेव ने वह फल लाकर अपनी पत्नी को दे दिया और कहा ये फल ऋषि ने दिया हे इसको खा लेना संतान हो जाएगी आत्मदेव की पत्नी धुंधली ने सोचा कि अगर में गर्भवती हो गई तो 9 माह तक बहुत परेशानी होगी धुंधली ने  यह बात अपनी वहन को बताई बहन ने कहा कि में गर्भवती हु प्रसव के बाद में तुम्हे अपना पुत्र दे दूंगी धुंधली देवी ने ऋषि का दिया हुआ फल गाय को खिला दिया धुंधली की वहन के 9 माह बाद पुत्र हुआ उसने धुंधली को दे दिया धुंधली ने अपने पति आत्मदेव से कहा कि मुझे पुत्र हुआ हे आत्मदेव पुत्र प्राप्त होने के बाद बड़े प्रसन्न हुए और उसका नाम धुंधकारी रख दिया तभी गाय ने भी एक मनुष्याकार का बच्चा जन्मा जिसका पूरा शरीर मनुष्य का था और कॉन गाय के थे उसका नाम गौकर्ण रख दिया गौकर्ण एवं धुंधकारी बड़े हुए गौकर्ण तो गुरुकुल में पढ़ने चला गया और धुंधकारी नशेड़ी और चोर निकल गया एक दिन धुंधकारी ने अपनी माता धुंधली को मार डाला पिता आत्मदेव व्यथित होकर वन को चले गए धुंधकारी वेश्याओं के साथ रहने लगा एक दिन वेश्याओं ने धुंधकारी को मार डाला और सारा सामान लेकर भाग गई मरने के बाद धुंधकारी भूत प्रेत बन गया धुंधकारी ने अपने भाई गौकर्ण से कहा कि मुझे इस योनि से छुड़ाओ गौकर्ण ने त्रिकाल संध्या करते समय सूर्यनारायण भगवान से पूछा कि धुंधकारी की मुक्ति के लिए क्या उपाय करना पड़ेगा जिससे धुंधकारी की मुक्ति हो सके भगवान सूर्यनारायण ने कहा कि तुम सात गांठ का वांस लेकर आओ और भागवत कथा का आयोजन करो सात दिन में वांस की सातो गांठने फट जाएगी और धुंधकारी की मुक्ति हो जाएगी कथा बाचक पंडित दीपक उपाध्याय ने बताया कि इस तरह गौकर्ण द्वारा कराई गई श्रीमद भागवत कथा के प्रताप से धुंधकारी की मुक्ति हो गई

श्रीमद भागवत कथा में बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी जनता मौजूद रही।

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