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संत हिरदाराम नगर :- संत हिरदाराम साहिब जी के 116वें अवतरण दिवस के अवसर पर पुष्पाजंलि एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया
दीपमाला पागारानी संस्कार पब्लिक स्कूल में आज दिनांक 21.09.2021 को मानवता के अग्रदूत कर्मयोगी परम तेजस्वी युगपुरूष ब्रह्मलीन परमहंत संत हिरदाराम साहिब जी के 116वें अवतरण दिवस के अवसर पर पुष्पाजंलि एवं व्याख्यान का आयोजन किया गया कार्यक्रम का शुभांरम्भ संस्था अध्यक्ष श्री सुषील वासवानी, उपाध्यक्ष श्री सुरेष राजपाल, सचिव श्री बसंत चेलानी, कोषाध्यक्ष श्री चन्दर नागदेव द्वारा संतजी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं दीपप्रज्जवलनकर किया गया। इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष श्री सुषील वासवानी ने संतजी के श्री चरणों मंे पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि संत जी का जीवन बहुत ही साधारण था वह सदैव लोगों की भलाई के लिए कार्य करते थे उन्होने अपना पूरा जीवन बूढ़े, बच्चों एवं गरीबों की सेवा में व्यतीत किया। संस्था के सचिव श्री बसंत चेलानी ने संतजी के श्री चरणों में नमन करते हुए कहा कि जिस प्रकार पहले के युगों में भगवान राम और भगवान कृष्ण ईष्वर के रूप में आए थे उसी प्रकार वर्तमान युग में संत हिरदाराम जी साक्षात् ईष्वर के रूप में आए थे और हम बहुत सौभग्यषाली है कि हमें उनके साक्षात् दर्षन करने का मौका मिला उन्होंने कहा कि हम संत महापुरूषों के जन्मदिन इसलिए मनातें है ताकि उनके जीवन से कुछ प्रेरणा लें सकें और अपना जीवन सफल कर सके। संस्था के उपाध्यक्ष श्री सुरेष राजपाल ने संतजी के चरण कमलों में पुष्पाजंलि अर्पित करते हुए कहा कि ऐसे संत बहुत विरले होते है तो गरीबों की सेवा में लगे रहते है और हम भग्यषाली है कि ऐसे संतो के कारण हमारे शहर का नाम हो रहा है। संस्कार संस्था के कोषाध्यक्ष श्री चन्दर नागदेव ने संतजी के श्री चरणों में नमन करते हुए कहा कि संत हिरदाराम साहिब जी की अपने गुरूजी के वचनों में बहुत आस्था होती थी उनके गुरूजी ने एक बार उन्हें वचन फरमाए कि तुम्हें जो भी मिले उसे लुटाते रहना तब से उनके पास जो भी आता था वह उसे गरीबों में बाॅट देते थे इस कारण वे अपने कपड़ों में जेब भी नहीं लगवाते थे। इस अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य श्री आर.के. मिश्रा, उपप्रचार्या श्रीमती मीनल नरयानी, प्रधानाचार्या सुश्री मृदुला गौतम, समस्त षिक्षक-षिक्षकाएँ एवं विद्यार्थियों ने संत जी के श्री चरणों में नमन करते हुए संत जी के छायाचित्र पर पुष्पाजंलि अर्पित की।
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