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संत हिरदाराम नगर :- सिंधी भाषा को रोजगार से जोड़े बिना विकास संभव नहींः जसवानीमा पांच फीसदी घरों में बोली जाती है सिंधी।
जब तक सिंधी भाषा को रोजगार से नहीं जोड़ा जाता, तब तक उसके विकास के बातें करना बेमानी होगी। यह कहना है कि अखिल भारतीय सिंधी महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं संत हिरदाराम नगर की अग्रणी सामाजिक संस्था सिंधी सेन्ट्रल पंचायत के महासचिव सुरेश जसवानी का। वे यहां अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।5 फीसदी बोलते हैं सिंधी में कई प्रबंद्धजनों की उपस्थिति में सुरेश जसवानी ने कहा कि आजादी के दो दशक बाद तक 100 प्रतिशत घरों में सिंधी में बात की जाती थी, 60 के दशक में यह संख्या 60 प्रतिशत वर्ष 2000 तक संख्या घटकर 25 प्रतिशत और अब यह संख्या घटकर खासतौर पर बड़े शहरामें 5 फीसदी रह गई है। जिन पढ़ी लिखी युवतियों का विवाह होता है, वे माताएं अपने बच्चों के साथ शतप्रतिषत या तो हिन्दी अथवा अंग्रेजी में बात करती हैं। रोजगार की लालच में सीखेंगे सिंधी जसवानी ने इंदौर के सांसद शंकर लालवानी के अलावा देशभर के खासतौर पर भाजपा एवं कांग्रेस के सिंधी भाषी विधायकों एवं अन्य नेताओं से आग्रह किया है कि वे केन्द्र तथा प्रदेश सरकारों से लोकसभा एवं विधान सभाओं में यह प्रस्ताव पारित करवाएं कि जो भी विद्यार्थी कक्षा 12वीं सिंधी भाषा में उत्तीण करेगा, उसे सिंधी शिक्षक की सरकारी नौकरी प्रदान की जाएगी, इस लालच में कई गरीब एवं मध्यम श्रेणी के सिंधी परिवार अपने बच्चों को सिंधी पढ़ाएंगे, और आगामी 10-20 सालों में काफी संख्या में देश को सिंधी भाषी शिक्षक उपलब्ध हो जाएंगे इस तरह सिंधी भाषा का विकास संभव हो सकेगा।7 सात तक बच्चे से बात करें मातृ भाषा में सुरेश जसवानी ने देश विदेश में निवास करनी वाली सभी सिंधी भाषी माताओं से अपील की है कि वे जन्म के बाद जब बच्चा एक साल में बोलना शरू करता है, तब उससे खासतौर पर माता अपनी मातृ भाषा अर्थात सिंधी में बात करे। अगर उसेने लगातार 7 साल तक उससे मातृ भाषा में बात की जो, वह बच्चा अपनी मातृ भाषा को जीवन में कभी भी भूल नहीं पाएगा लेकिन दुर्भाग्य से आज की सिंधी भाषी माताएं अपने बच्चों से हिंदी या फिर अग्रेंजी में बात करती हैं, जो दुर्भाग्य की बात है। जसवानी ने कहा है कि जब तक अपने परिवार से भाषा के विकास की शुरूआत नहीं की जाती तब तक चाहे देश विदेश में कितने भी सिंधी सम्मेलन, सेमिनार, कवि सम्मेलन, गोष्ठियां या अन्य आयोजन किए जाएं इसके विकास की बात करना बेमानी होगी।
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