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A संत हिरदाराम नगर :- शहीद हेमू कालानी एज्यूकेशनल सोसायटी द्वारा 50वें विजय दिवस पर भव्‍य एवं गरिमामय आयोजन''

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संत हिरदाराम नगर :- शहीद हेमू कालानी एज्यूकेशनल सोसायटी द्वारा 50वें विजय दिवस पर भव्‍य एवं गरिमामय आयोजन''


संत हिरदाराम नगर: परमहंस संत हिरदाराम साहिबजी के आशीर्वाद से स्थापित एवं उनके उत्तराधिकारी श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी के प्रेरणाप्रद मार्गदर्शन में संचालित राजधानी की  उत्‍कृष्‍ट शिक्षण संस्था शहीद हेमू कालाणी एजूकेशनल सोसायटी द्वारा विजय दिवस मनाया गया। चूँकि देश इस वर्ष आज़ादी का अमृत महोत्सव मना रहा है अत: संस्था ने देश के 50वें विजय दिवस को 1971 के युद्ध पर आधारित देश भक्ति पूर्ण नाटक के मंचन से मनाया.

 

सन् 1971 में बांग्‍लादेश की आज़ादी को लेकर भारत और पाकिस्‍तान की सेनाओं के बीच यह युद्ध हुआ। इस युद्ध में भारतीय सेना के नायक जगजीत सिंह अरोड़ा के सामने पाकिस्‍तान सेना के प्रमुख जनरल नियाजी ने अपने 93000 सैनिकों के साथ आत्‍म समर्पण किया था। विश्‍व के इतिहास में यह दूसरे नंबर पर बड़ा समर्पण था। उसी युद्ध के परिणाम पर यह नाट्य प्रस्‍तुति आधारित थी। इसमें विशेष बात यह रही कि जहाँ दोनों कालेजों के विद्यार्थियों ने विभिन्न भूमिकाएं निभाईं, वहीं संस्‍था के समस्‍त स्कूलों के गुरुजनों, संस्‍था सचिव एवं अन्य स्टाफ ने अभिनय किया क्योंकि कोरोना प्रोटोकॉल के चलते स्कूल विद्यार्थियों का किसी भी सामूहिक गतिविधि में भाग लेना वर्जित था। सैनिकों की वीरता का मंचन मिठी गोबिन्दराम पब्लिक स्कूल की शिक्षिका सुश्री दुर्गा मिश्रा के निर्देशन में संत हिरदाराम ऑडिटोरियम में किया गया।

 

इस अवसर पर मुख्‍य अतिथि के रूप में पधारे कर्नल नारायण पारवानी जी ने अपने वक्तव्य में कहा कि 03 दिसंबर 1971 को प्ररम्‍भ हुआ भारत-पाक युद्ध मात्र 13 दिन बाद 16 दिसंबर 1971 को विश्‍व मानचित्र में एक नए देश बांग्‍लादेश के उदय के साथ समाप्‍त हुआ। इस युद्ध में पाकिस्‍तान की मदद अमेरिका सहित विश्‍व के कई बड़े देश कर रहे थे एवं हथियारों के मामले में भी पाकिस्‍तान हमसे मजबूत था। फिर भी भारतीय सेना अपनी जांबाजी का प्रदर्शन करते हुए आगे बढ़ती चली गई। ''द ब्‍लड टेलिग्राम'' नामक पुस्‍तक में पाकिस्‍तान की मनस्थिति एवं बौखलाहट का वर्णन मिलता है। भारत के लिए यह युद्ध चुनौती पूर्ण रहा जिसमें भारतीय सैनिकों ने अदम्‍य साहस एवं वीरता का परिचय दिया जिसे न्‍यूयार्क टाइम्‍स समेत विश्‍व के कई अखबारों में दर्शाया गया। अन्‍त में उन्‍होंने चाणक्‍य का संदर्भ देते हुए कहा कि सैनिक युद्ध के मैदान में शहीद होता है परन्‍तु उसकी मृत्‍यु तब होती है जब जनमानस उसके योगदान को भुला देते हैं।

इस अवसर पर संस्था के मार्गदर्शक श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी ने अपने आशीर्वचनों में कहा कि जिस समाज में स्‍त्रियों का अपमान होता है वह समाज नष्‍ट हो जाता है। हमें मातृशक्ति को सम्‍मान देना होगा, यही हमारी संस्‍कृति है। उन्‍होंने अभिभावकों का आव्‍हान करते हुए कहा कि वे अपने बच्‍चों का पालन पोषण इस प्रकार से करें कि उनके मन में भारतीय संस्‍कार एवं स्‍त्रियों के प्रति सम्‍मान की भावना पैदा हो। श्रद्धेय भाऊजी ने कर्नल पारवानी जी को धन्‍यवाद देते हुए कहा कि हम सब में और युवाओं में देश प्रेम की भावना को जागृत करने एवं इस नाट्य प्रस्‍तुति के निर्देशन में आपके योगदान के लिए यह संस्‍था हमेशा आपकी ऋणी रहेगी। भाऊजी ने कहा कि अब रक्षा सेनाओं में महिलाओं की शक्ति को पहचाना जाने लगा है। हमारे स्‍कूल्‍स एवं कॉलेजेस में बालिकाओं को आत्‍मरक्षा का प्रशिक्षण दिया जाता है।

इसके पूर्व अपने स्‍वागत उद्धबोधन में श्री महेश दयारामानी जी ने विजय दिवस की बधाई देते हुए शहीदों के योगदान एवं शौर्य को सराहा एवं वसुदेव कुटुम्‍बकम की अवधारणा को भारतवर्ष का स्‍तम्‍भ बताया है। इन्‍होंने कहा कि भारतीय संस्‍कृति की महानता है कि 93000 पाकिस्‍तानी शरणार्थियों के प्रति सहृदयता का भाव रखते हुए उन्‍हें किसी भी प्रकार की प्रताड़ना नहीं दी गई एवं उनकी भूमि को भारतवर्ष में न मिलाते हुए एक स्‍वतंत्र राष्‍ट्र का गठन किया गया। विजय दिवस भारतीय संस्‍कृति की चेतना को प्रकट करता है तथा समस्‍त भारत वासियों में राष्‍ट्रहित की भावना बलवति होती दिखाई देती है। सच्‍चा नागरिक हर क्षण राष्‍ट्र की उन्‍नति, अखण्‍डता के विषय में चिन्‍तन करता है। उन्‍होंने युवाओं से अनुरोध किया कि वे ईमानदारी एवं निष्‍ठा से कार्य करें जो राष्‍ट्रभक्ति के श्रेणी में ही आता है।

 

इस अवसर पर दो मिनट का मौन रखकर 1971 के युद्ध के शहीदों एवं हाल ही में हेलीकाप्‍टर दुर्घटना में शहीद हुए सी.डी.एस. प्रमुख जनरल बिपिन रावत एवं उनके साथियों को श्रद्धांजली दी गई।

कार्यक्रम में भूतपूर्व सैनिक केप्टन के.जे. कुरियन, सुबेदार मेजर तेजासिंह सोढी एवं मिलिट्री सर्विस इंजीनियर एन.एस. सोलंकी के साथ-साथ शहीद हेमू कालानी एजूकेशनल सोसायटी के सदस्‍यगण हीरो ज्ञानचंदानी, ए सी साधवानी, महेश दयारामानी, के. एल. रामनानी, भगवान् दामानी, गोपाल गिरधानी, के. एल. मोटवानी समेत थावर वरलानी, विष्‍णु गेहानी, वासदेव वाधवानी, सुरेश राजपाल, मेनिस मेथ्‍यूज, वासदेव मोतियानी के अलावा उपनगर के समस्‍त स्कूलों/कॉलेजों के प्राचार्य, उप-प्राचार्या एवं अन्‍य स्‍टाफ मौजूद थे।

 

इस प्रस्‍तुति को बहुत अच्छे तरीके से विद्यार्थियों और गुरूजनों ने प्रस्तुत किया और समस्त उपस्थितों का मनमोह लिया। साथ ही आभार प्रदर्शन एवं कार्यक्रम का कुशल संचालन सुश्री प्रमिता दुबे परमार ने किया। 


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