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संत हिरदाराम नगर :- संत हिरदाराम कन्या महाविद्यालय में लीडरषिप विषय पर अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन...
बुधवार, दिनांक 29 दिसम्बर, 2021, संत हिरदाराम कन्या महाविद्यालय के आंतरिक गुणवत्ता एवं आश्वासन प्रकोष्ठ (आई.क्यू.ए.सी.) द्वारा फेसबुक लाइव द्वारा मास्टरक्लास ऑन लीडरशिप- बनिये कल से बेहतर विषय पर अंतर्राष्ट्रीय परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें विभिन्न क्षेत्रों के सुप्रसिद्ध विद्वानों ने देश-विदेश से सहभागिता की। परिचर्चा में सदस्यों के रूप में श्री गौरव कुमार निगम, प्रसिद्ध लेखक, कहानियों के दस्तखत, लखनऊ, श्री आत्माराम शर्मा, प्रबंधक, मध्यप्रदेश माध्यम, भोपाल, श्री संतोष खरे, साहित्यकार एवं संस्थापक, गोल्स इंक कंपनी (यू.एस.ए.) व सी.ई.ओ., डाॅ. रीना सिंह राजपूत, प्रसिद्ध मनोवैज्ञानिक सलाहकार एवं मोटिवेशनल स्पीकर, श्री गोपाल गिरधानी, वरिष्ठ षिक्षाविद् एवं सदस्य, शहीद हेमू कालानी एजुकेशनल सोसाइटी, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ डालिमा पारवानी उपस्थित थे। इस परिचर्चा का मुख्य उद्देश्य छात्राओं मंे नेतृत्व क्षमता विकसित करने एवं उन्हें व्यवसायिक जगत की समझ के साथ साहित्य लेखन हेतु प्रोत्साहित करना था।
महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. डालिमा पारवानी ने अपने उद्बोधन में सभी का स्वागत करते हुए कहा कि जीवन में किसी भी कार्य को करने के लिए हमारी अनुभूति महत्वपूर्ण है। एक कुषल नेतृत्व के लिए आपके अन्दर सकारात्मक दृष्टिकोण का होना आवष्यक है। जीवन की चुनौतियों का सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ सामना करें। प्रत्येक कार्य में व्यक्तिगत जिम्मेदारी एवं निरन्तरता का भाव लेकर आएं। यह परिचर्चा निष्चित ही सभी के लिए ज्ञानवर्धक होगी, ऐसा मेरा विष्वास है। गौरव कुमार निगम ने एक अच्छे नेतृत्व की विषेषताओं पर सविस्तार चर्चा करते हुए कहा कि एक अच्छे नेता में दृष्टिकोण, सहानुभूति एवं नेतृत्व कला होना चाहिए। एक अच्छे नेता के साथ स्वयं के अच्छे अनुयायी भी बनें। जीवन की विभिन्न असफलताओं को सहजता से स्वीकार करें। अच्छे नेतृत्व के लिए विषिष्ट, मापनीय, क्रियाषील एवं समयबद्ध उद्देष्यों का होना अति आवष्यक है। नींव का पत्थर बनें। आत्माराम शर्मा ने कहा कि एक नेता में ज्ञान, कृतज्ञता, सहजता, योग्यता एवं जीवन की विभिन्न विषम परिस्थितियों का सामना प्रसन्नता के साथ करना आना चाहिए। संतोष खरे ने विष्वसनीयता एवं श्रवणीयता कौषल को एक अच्छे नेता में सम्मिलित करने की बात कही। डाॅ. रीना सिंह राजपूत ने कहानी के माध्यम से अपनी बात कहते हुए कहा कि जीवन की प्रत्येक समस्या का समाधान हम कहानी के माध्यम से कर सकते हैं। सहानुभूति, रचनात्मक चिंतन, आलोचनात्मक चिंतन, स्व-जागरूकता, निर्णयन एवं प्रभावी संचार सहित उन्होंने विष्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा बताये गये 10 जीवन कौषल तकनीकों एवं रणनीतियों को प्यासा कौआ पर आधारित कहानी द्वारा बताया। गोपाल गिरधानी ने नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं पर बात करते हुए कहानी वर्णन के साथ अवलोकन एवं जिज्ञासाओं को प्रभावी ढंग से बताया।कार्यक्रम का सफल संचालन डाॅ. सुनीला चैबे, कन्वीनर, आई.क्यू.ए.सी. एवं प्रो. विभा खरे, सदस्य, आई.क्यू.ए.सी. द्वारा किया गया।महाविद्यालय प्रबंधन द्वारा परिचर्चा के सफल आयोजन हेतु सभी को शुभकामनाएं देकर सभी के उज्जवल भविष्य की कामना की।
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