AJAY CHOUKSEY M 9893323269
संत हिरदाराम नगर :- अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर विशेष लुप्त होती सिंधी भाषा के संरक्षण व संवधर्न की जरूरत.......
अखिल भारतीय सिंधी महासभा समिति (रजि.)अन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस के अवसर पर विशेष लुप्त होती सिंधी भाषा के संरक्षण व संवधर्न की जरूरतः सुरेश जसवानी रोजगार से जोड़ें, मां करे बच्चे से मातृ भाषा में बात, तब बने बात एनसीपीएल एवं सिंधी अकादमी के सक्रियता की आवश्यकताभोपाल। सिंधियों की राष्ट्रीय स्तर की अग्रणी सामाजिक संस्था अखिल भारतीय सिंधी महासभा समिति (रजि.) के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं संत हिरदाराम नगर की सामाजिक संस्था सिंधी सेन्ट्रल पंचायत के महासचिवव सुरेश जसवानी ने लुप्त होती सिंधी भाषा के संवधर्न एवं संरक्षण के व्यापक प्रबंध पर जोर दिया दिया है, और कहा है कि राष्ट्रीय स्तर पर मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अधीन केन्द्रीस सिंधी भाषा एवं विकास परिषद तथा मध्यप्रदेश सिंधी साहित्य अकादमी को सक्रिय होने की जरूरत है, वरन भाषा के साथ सिंधी साहित्य, कला व संस्कृति पूरी तरह से खत्म हो जाएगी।रोजगार से जोड़ें भाषा कोअन्तरराष्ट्रीय मातृ भाषा दिवस पर जारी बयान में सुरेश जसवानी ने कहा है कि अनेक प्रदेशों एवं केन्द्रीय विद्यालयों में सिंधी भाषा के शिक्षकों के पद 40 साल से भरे नहीं गए हैं, वे रिक्त पड़े हैं सिंधी भाषा को जोरगार से जोड़ने की जरूरत है। केन्द्र एवं प्रदेश सरकारें यह घोषणा करें कि जो भी विद्याथीर् कक्षा 12वीं सिंधी अरबी अथवा देवनागिरी में उत्तीण करेगा, तो उसे सिंधी सरकारी शिक्षक की नौकरी दी जाएगी, इसकी लालच में अनेक सिंधी गरीब परिवार अपने बच्चों को सिंधी पढ़ने के लिए बाध्य करेंगे इस तरह सिंधी का संरक्षण व संवधर्न संभव है।मां करें बच्चे से सिंधी में बात जसवानी ने देश व विदेशों में निवास करने वाले सिंधी परिवारों की माताओं खासतौर पर युवा माताओं से अपील की है कि जन्म के एक साल के बाद जब बच्चा बोलना सीखता है, तब से लेकर कम से कम 7 वषर् तक मां अपने बच्चे से मातृ भाषा अथार्त सिंधी में बात करे, तो वह जीवनभर अपनी मातृ भाषा को नहीं भूल सकता। लेकिन दुभार्ग्य से आज घरों से सिंधी भाषा लुप्त होती जा रही है और माता अपने बच्चे से या तो हिन्दी अथवा अंग्रेजी में बात करने लगी है।एनसीपीएल व अकादमी हो सक्रिय जसवानी ने राष्ट्रीय स्तर पर गठित सिंधी भाषा विकास परिषद (एनसीपीएल) एवं मध्यप्रदेश सहित प्रदेशांे की सिंधी अकादिमियों को सक्रिय करने पर जोर दते हुए कहा है कि जो भी सिंधी साहित्यकार, कलाकार, लेखक एवं विद्ववान सिंधी भाषा का ज्ञान रखते हैं, उन्हें सिंधी भाषा पढ़ाने के लिए मोटी रकम देने के साथ ही जो भी सिंधी भाषा पढ़ने का इच्छुक हो उस विद्याथीर् को प्रतिमाह 10 हजार रूपए स्कालरशिव लेने की योजना बनाना चाहिए ताकि सिंधी भाषा को लुप्त होने से बचाया जा सके।सेमिनार व सम्मेलन से कुछ नहीं होगा जसवानी ने कहा है कि चाहे 10 अप्रैल सिंधी भाषा दिवस हो या 21 फरवरी मातृ भाषा दिवस, केवल सेमिनार, गोष्ठियां, सम्मेलन करने व लम्बे चैड़े भाषण देने से कुछ नहीं होगा, इसके लिए जमीनी स्तर पर प्रयास करने होंगे तब ही भाषा को जीवित रखना संभव होगा वरन आने वाली पीढ़ी को हम मुंह दिखाने के काबिल नहीं रहेंगे।
0 Comments:
Post a Comment