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संत हिरदाराम नगर :- विवेकानंद जयंती पर केवलराम चैनराय पब्लिक स्कूल में सांस्कृतिक कार्यक्रम।
अपने 'विवेक' के कहने पर चलने वाला ही 'आनंद' प्राप्त करता है और विवेकानंद बन जाता है.... श्रद्धेय सिद्ध भाऊ परमहंस संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब के आशीर्वाद और उनके उत्तराधिकारी श्रद्धेय सिद्ध भाऊ के स्नेह पूर्ण मार्गदर्शन में, शहीद हेमू कालानी ऐजूकेशनल सोसाइटी द्वारा संचालित कला लक्ष्मणदास वेंसीमल गनवानी फाउडेंशन स्कूल एवं केवलराम चैनराय पब्लिक स्कूल, करोंद में दिनांक 12 जनवरी 2022 को स्वामी विवेकानंद जयंती के अवसर विद्यालय के ऑडिटोरियम में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम में कोरोना की सुरक्षा संबंधी गाईडलाइन का पालन करतेे हुए विद्यालय द्वारा सभी विद्यार्थियों एवं प्रतिभागियों की थर्मल स्क्रीनिंग, मास्क पहनना सेनिटाइजेशन एवं सोशल डिस्टेसिंग की समुचित व्यवस्था की गई।कार्यक्रम का शुभारम्भ परमहंस संतजी, मां भारती और स्वामी विवेकानंद जी के चित्रों पर माल्यार्पण व दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। इस अवसर पर उपस्थित परम श्रद्धेय सिद्ध भाऊ, संस्था सचिव ए सी साधवानी तथा मुख्य अतिथि कर्नल नारायण पारवानी का स्वागत विद्यार्थियों द्वारा पुष्प गुच्छ भेंट कर किया गया। विद्यालय के प्राचार्य राजेश लालवानी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि श्रद्धेय सिद्ध भाऊ एवं कर्नल पारवानी जी हम सभी के लिए स्वामी विवेकानंद की तरह पूजनीय है, वे सदैव उनके द्वारा दिखाए गए सदमार्ग का अनुसरण करते है और हम सभी को भी प्रेरित करते हैं। इस अवसर पर साधवानी ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज विवेकानंद जयंती है तथा हमें उन्हीं के बताए ध्येय वाक्यों का अनुसरण सदैव करना चाहिए। लक्ष्य की प्राप्ति के लिए सदैव प्रयासरत् रहना चाहिए और हमें दृढ़ निश्चयी बनना चाहिए तो हमें सफलता अवश्य मिलेगी।विद्यार्थियों का लक्ष्य यह है कि वे अच्छी पढ़ाई कर स्वयं, अपने माता पिता व देश का नाम रोशन करें। मुख्य अथिति के रूप में उपस्थित कर्नल नारायण पारवानी ने कहा कि उन्हें प्रथम बार विद्यालय में आकर सुखद आश्चर्य हुआ । यह विद्यालय अपनी सुव्यवस्था के कारण करोंद क्षेत्र में विशिष्ट स्थान रखता है। इस विद्यालय जैसी शिक्षा पर ही स्वामी विवेकानंद महत्व देते थे जिससे विद्यार्थी का शारीरिक, मानसिक, आध्यात्मिक व चारित्रिक निर्माण हो तथा वह देश के प्रति समर्पित होकर कार्य करे। इस अवसर पर परम श्रद्धेय सिद्ध भाऊ ने अपने आशीर्वचनों में सभी को एक प्रेरणा दायक कहानी के माध्यम से बताया कि विद्यार्थियों के जीवन में समय की पाबंदी का विशेष महत्व है। हम सभी को अपने माता-पिता को ईश्वर के समान पूजनीय मानना चाहिए और उनके प्रति संवेदनशील होना चाहिए। हमें प्रातः काल उठकर, शारीरिक व्यायाम तथा नियमित रुप से अध्ययन करना चाहिए। प्रातः काल उठने से हमारा मन मस्तिष्क स्वस्थ होता है। जिस प्रकार स्पंज तुरन्त पानी सोख लेता है, उसी प्रकार, प्रातः काल में मस्तिष्क भी हर चीज़ तुरन्त याद कर लेता है। हमें अपने शिक्षकों के प्रति श्रद्धा , विश्वास और सम्मान का भाव रखना चाहिए। शिक्षकों के द्वारा बताई गई बातों का पालन अवष्य करना चाहिए। शिक्षकों को भी प्रतिदिन विद्यार्थियों को सकारात्मक एवं प्रेरणादायक बातें बतानी चाहिए। इस अवसर पर श्रद्धेय सिद्ध भाऊ ने अपने स्नेहमयी आशीर्वाद स्वरुप समस्त विद्यार्थियों को पेन एवं कलर पेंसिलो के पैकेट भेंट किए। इस कार्यक्रम में विद्यार्थियों द्वारा कई रंगारंग एवं मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गई जो सामयिक विषयों पर आधारित थीं, जैसे कोरोना का खात्मा, कोशिश करने वालों की हार नहीं होती, भारतीय सेना के प्रति श्रद्धा, ईश वंदना का महत्व आदि। कार्यक्रम समापन के पूर्व विद्यालय की शिक्षिका रचना दुबे द्वारा सुंदर शब्दों में सभी का आभार व्यक्त किया गया। कार्यक्रम का समापन वंदेमातरम् के गान के साथ हुआ। कार्यक्रम का कुशल संचालन रेखा श्रीवास्तव एवं कामिनी सोनी ने किया। 👆
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