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संत हिरदाराम नगर :- छात्राओं के लिए अच्छी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ साथ जीवन मूल्य भी महत्वपूर्णष् - सिद्ध भाऊ
अवसर था परमहंस संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब के आशीर्वाद से एवं उनके उत्तराधिकारी श्रद्धेय सिद्ध भाऊ के स्नेह पूर्ण मार्गदर्शन में संचालित संत हिरदाराम इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट में दिनांक 26 अप्रैल 2022 को छात्राओं में पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता एवं करूणा के संस्कारों के रोपण हेतु एक प्रेरणादायक सत्र के आयोजन का। श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी ने अपना स्नेहपूर्ण आशीर्वचन देते हुए कहा कि मानव शरीर विभिन्न प्रकार के कर्म करने का साधन है।
उन्हीं कर्मो में सेवा और सहायता कर्म भी आते हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा के महत्व को कभी भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। सुबह का समय अध्ययन के लिए सर्वश्रेष्ठ होता हैए जिसमे हमारा दिमाग स्पंज की तरह होता है एवं अच्छी चीज़ों को ग्रहण करता है। इस समय याद करने की क्षमता बढ़ जाती हैए इस समय का सदुपयोग करें। उन्होंने कहा कि छात्राओं को गायन एवं नृत्य को हॉबी के रूप में विकसित करना चाहिए। गायन परमात्मा से जोड़ता है। सम्मानए समृद्धि एवं स्वास्थ्य सुखद जीवन का मूल मंत्र है। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वतीए माँ भारती एवं संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब के समक्ष दीप प्रज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ। संस्थान के डायरेक्टर डॉण् आशीष ठाकुर ने स्वागत उद्बोधन प्रस्तुत किया और श्रद्धेय सिद्ध भाऊ का स्वागत किया। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित शहीद हेमू कालानी एजुकेशन सोसाइटी के सचिव एण् सीण् साधवानी ने छात्राओं को सम्बोधित किया एवं संस्था के द्वारा संचालित किये जा रहे सामाजिक कार्यों का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के साथ जीवन मूल्य भी महत्वपूर्ण होते हैं। इस अवसर पर संस्थान के मैनेजिंग डायरेक्टर हीरो ज्ञानचंदानी ने भी छात्राओं को आशीर्वाद दिया। श्रद्धेय सिद्ध भाऊ ने अपने उद्बोधन में छात्राओं से कहा कि मैनेजमेंट सही मायने में विचारों का मैनेजमेंट है। विचार वो होते हैंए जो हम देखते हैंए सुनते हैं एवं पढ़ते हैं। यही विचार कर्म में परिवर्तित हो जाते हैं। भाऊजी ने माँ को सर्वश्रेष्ठ शिक्षक बताया एवं कहा कि माता.पिता ने हमारे लिए कई प्रकार के समझौते किये हैं। इसलिए ये कर्तव्य बनता है कि हमें अपने विज़न पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए ताकि उनके सपने हम पूरा कर सकें। केवल मनुष्य ही है जो अपने कर्मों के माध्यम से समाजए पेड़.पौधेए पशु.पक्षीए प्रकृति की सेवा कर सकता है एवं पुण्य प्राप्ति कर सकता है। इस भीषण गर्मी में हमें एक अवसर मिला है कि हम सभी प्राणियों को ईश्वर की रचना मान कर उनकी सहायता करें। चिड़ियाए गौ माताए श्वान एवं अन्य प्राणियों को दाना.पानी की व्यवस्था करना बहुत ही पुण्य का कार्य होता है। इस कार्य से मन को आत्मसंतुष्टि होती हैए जो अनमोल है। उन्होंने छात्राओं को आह्वान किया कि सेवा का भाव लगातार बनाये रखें। उन्होंने कहा कि कई बार जीवन में ऐसा होता है जब हम दूसरों के कारण परेशान होते हैं। अध्ययन एवं नौकरी के समय कई उतार.चढ़ाव आते हैं। ऐसे में हमें चाहिए कि दूसरों के आचरण का हमारे मन पर नकारात्मक प्रभाव न हो। श्रद्धेय सिद्ध भाऊ ने कहा कि ऐसे लोगों को न केवल क्षमा कर देना चाहिएए बल्कि हमें भूल जाना चाहिए। इस भाव को छात्राओँ के मन में लाने के लिए उन्होंने सभी को बेस्टसेलर किताब ष्फॉरगिव एंड फॉरगेटष् भेंट की। इस अवसर पर संस्था के सभी प्राध्यापकगण उपस्थित थे। कार्यक्रम का सफल संचालन डॉण् कोमल तनेजा ने किया।
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