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संत हिरदाराम नगर :- केवलराम चैनराय पब्लिक स्कूल करोंद में हुआ चिड़िया के लिए दाना-पानी सत्र का आयोजन।
बच्चों को समझाया गया महत्व संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब जी के पवित्र आशीष की छाया में , उनके उत्तराधिकारी भाऊजी के स्नेह पूर्ण मार्गदर्शन में शहीद हेमू कालानी ऐजूकेशनल सोसाइटी द्वारा संचालित कला लक्ष्मणदास वेंसीमल गनवानी फाउंडेशन स्कूल एवं केवलराम चैनराय पब्लिक स्कूल, करोंद में दिनांकः 16 अप्रैल 2022 को कला लक्ष्मणदास वेंसीमल गनवानी फाउंडेशन स्कूल के सुसज्जित ऑडीटोरियम में नन्हे बच्चों मेें पक्षियों के प्रति संवेदनशीलता-करूणा के संस्कारों के रोपण हेतु जागरूकता सत्र का आयोजन किया गया। कक्षा प्रथम के अभिभावकों को भी आमंत्रित किया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ माँ सरस्वती, माँ भारती, राम दरबार एवं संत शिरोमणि हिरदाराम साहिब जी के चित्रों के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन एवं माल्यार्पण के साथ हुआ । इस अवसर पर श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी, सचिव महोदय तथा कोऑर्डिनेटर महोदया का प्राचार्य महोदय , शिक्षिकाओं एवं विद्यार्थियों ने पुष्प गुच्छ भेट कर स्वागत किया। विद्यालय की शिक्षिका श्रीमती रेखा श्रीवास्तव ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। विद्यार्थियों के द्वारा सरस्वती वंदना की सुंदर प्रस्तुति दी गई। चिड़ियों के लिए दाना और पानी रखने की प्रेरणा देने वाली लघु नाटिका का विद्यार्थियों द्वारा सुंदर मंचन किया गया। इस अवसर पर विशेष रूप से उपस्थित नवनिध हासोमल लखानी पब्लिक स्कूल की कोआर्डिनेटर रीटा आहूजा तथा मीठी गोबिंदराम पब्लिक स्कूल की मिनी नायर ने विद्यार्थियों को पक्षियों के लिए दाना रखने और पानी की व्यवस्था करने का महत्व सभी को बताया। संस्था के सचिव ए एस साधवानी ने कहा कि भाऊजी ने हम सभी में दया-करूणा एवं मानवीयता के संस्कारों का पोषण किया है। हम सभी का कर्तव्य है कि इन संस्कारों को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएँ। पशु-पक्षियों के प्रति हम सभी को नैतिक रूप से सहायता का भाव रखना चाहिए। यह कार्यक्रम उसी दिशा में हमारा प्रयास है। इस अवसर सिद्ध भाऊजी ने अपना स्नेहपूर्ण आशीर्वचन देते हुए कहा कि-मानव का शरीर विभिन्न प्रकार के कर्म करने का माध्यम है उन्हीं में सेवा और सहायता भी आते हैं। केवल मनुष्य ही है जो अपने कर्मों के माध्यम से समाज, पेड़-पौधे, पशु-पक्षी प्रकृति सभी की सेवा कर के पुण्य की प्राप्ति कर सकता है। इस भीषण गर्मी में एक अवसर मिला है हम सभी को ईश्वर की उस संरचना की सहायता करने का जो किसी से अपनी भूख-प्यास के विषय में बता नहीं सकते। इनके लिए दाना-पानी की व्यवस्था करना बहुत ही पुण्य का कार्य है। नन्हे-बच्चों के साथ-साथ हम सभी का यह कर्तव्य कि इन प्रकृति मित्रों की सहायता करें। इन छोटे बच्चोें में हम बचपन से ही अच्छे संस्कारों का रोपण कर रहे हैं ताकि वे सदैव इन बातों का अपने जीवन में पालन करें। आप सभी अभिभावक भी यह सुनिश्चित करें कि बच्चे विद्यालय में सिखाए जाने वाले इन संस्कारों का पालन करें। तथा श्रध्दा और विश्वास से ओतप्रोत पुरोहित और उसके बेटे की एक कहानी भी सुनाई। साथ ही श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी ने कहा की सही मार्गदर्शन व उन पर चलने की प्रेरणा ही आर्शीवाद है । साथ ही बच्चों से भगवान के नाते को और मजबूत करने हेतु अगले आरती सत्र की घोषणा भी की।साथ ही इस कार्यक्रम में श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी के पवित्र हाथों से कक्षा प्रथम के विद्यार्थियों के अभिभावकों को दो सकोरे तथा दो किलो चावल के दाने वितरित किए गए । कार्यक्रम के समापन के अवसर पर विद्यालय के प्राचार्य राजेश लालवानी ने सुंदर शब्दों के द्वारा आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का सुसंचालन विद्यालय की शिक्षिका दुबे ने किया।
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