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संत हिरदाराम नगर :- नवनिध हासोमल लखानी पब्लिक स्कूल के प्रांगण में बारहवीं कक्षा की छात्राओं के लिए आाीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया।
दिनांक 06.04.2022 को नवनिध हासोमल लखानी पब्लिक स्कूल के प्रांगण में बारहवीं कक्षा की छात्राओं के लिए आाीर्वाद समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर छात्राएँ जहाँ विद्यालय को छोड़ने के कारण भावुक हो रही थीं वहीं अपने भविष्य को लेकर उत्साहित भी थीं।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि शहीद हेमू कालानी एजुकेानल सोसायटी के चेयरमैन श्रद्धेय सिद्ध भाऊ, संस्था के उपाध्यक्ष हीरो ज्ञानचंदानी, सचिव ए.सी. साधवानी, मैनजमेंट सदस्य मनोहर वासवानी एवं कन्हैयालाल मोटवानी, विद्यालय की प्राचार्या अमृता मोटवानी, संत हिरदाराम गल्र्स काॅलेज के प्रोफेसर एवं सभी ािक्षक-ािक्षकाएँ उपस्थित थे। कार्यक्रम का शुभारंभ माँ भारती, माँ सरस्वती एवं संत ािरोमणि संत हिरदाराम जी के छायाचित्रों के सम्मुख माल्र्यापण कर दीप प्रज्वलन किया गया।श्रद्धेय सिद्ध भाऊ ने अपने आाीर्वाद में सर्वप्रथम एडीसन का उदाहरण दिया कि वह जिस प्रकार अपने शोध को पूरी एकाग्रता से करता था आपको उसी प्रकार एकाग्र होकर ज्ञान प्राप्त करना है।
आपको अपनी पढ़ाई इस तरह करनी है कि कब सुबह से रात हो जाए पता ही न चले। महाविद्यालय में जाकर छात्राएँ स्वच्छंद हो जाती हैं। किन्तु यह स्वच्छंदता उनके स्वर्णिम भविष्य में बाधक है। प्रत्येक बिटिया को 24, 25 वर्ष तक अपने लक्ष्य को प्राप्त करना है। अतः आपके पास गंवाने के लिए थोड़ा भी समय नहीं है। स्कूल के बाद महाविद्यालय का सही चुनाव आपके स्वर्णिम भविष्य का निर्धारण करता है वहीं गलत चुनाव आपको कष्ट में डाल देता है। विनम्रता के महत्त्व को प्रतिपादित करते हुए भाऊजी ने छात्राओं को सदैव विनम्र बने रहने के लिए कहा। सादगी पूर्ण जीवन शैली आपको अनेक कठिनाइयोें से बचा सकती है। लक्ष्य का निर्धारण कर उसे प्राप्त करने का हर संभव प्रयास करना चाहिए। वो ही बिटिया अपना लक्ष्य प्राप्त कर पाती है जो अपने माता-पिता के त्याग को याद रखती है। आपके माता-पिता आपकी रूचि के अनुरूप आपकी सहमति से आपके जीवन साथी का चुनाव करेंगे। अतः बिना भटके अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट जाएँ और काॅलेज को मनोरंजन का स्थान न समझ, ािक्षा ग्रहण करेंगी तो आपको आगे बढ़ने से कोई नहीं रोक सकता। उच्च ािक्षा के लिए उत्तम स्वास्थ्य बहुत आवयक है। हमें भोजन वह करना चाहिए जो हमारे शरीर को न सिर्फ चुस्त दुरूस्त रखें अपितु ऊर्जावान बनाएं। ष्क्षमाष् बहुत बड़ा गुण है अतः किसी से बिना उलझे हमें एकाग्रचित होकर ािक्षा प्राप्त करनी चाहिए। कक्षा बारहवीं के परिणाम पर आपके भविष्य की नींव टिकी हुई है। अतः पूरी तैयारी के साथ परीक्षाओं में अपना सर्वश्रेष्ठ दें जिससे परिणाम आाा के अनुरूप आए। उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम जहाँ आपको आत्मविवास से भर देगा वहीं आपके माता-पिता के साथ पूरे विद्यालय परिवार को गौरवान्वित करेगा। अतः बिना तनाव के पूर्ण आत्मविवास के साथ आप परीक्षाएँ दें। मनोहर वासवानी ने सभी उपस्थितजनों का हार्दिक अभिनंदन किया और कहा कि यदि आपकी तैयार पूर्ण है और आपको स्वयं पर विवास है तो आप जिस भी क्षेत्र में जाना चाहें आपको कोई भी रोक नहीं सकता। ष्डीप स्टड़ीष् आपको विािष्ट पहचान दिलाएगी। अमृता मोटवानी ने अपने स्वागत उद्बोेधन में सभी का स्वागत किया और छात्राओं से कहा कि वो श्रद्धेय सिद्ध भाऊ के बताए मार्ग का अनुसरण करें। अपनी ािक्षिकाओं पर विवास कर उनकी बताई बातों को गाँठ बाँध कर अपनाएँ तो कोई कारण नहीं है कि उन्हें सफलता न मिलें। इस समय बिना ध्यान भटकाए केवल अपने लक्ष्य पर केन्द्रित रहें।संत हिरदाराम काॅलेज की ािक्षिका डाॅ. मीनू टहलियानी ने कहा कि ष्न्यू एजुकेान पाॅलिसीष्ए जो कि प्रेक्टिकल नाॅलेज पर आधारित है, इसी के आधार पर संत हिरदाराम महाविद्यालय में ािक्षा प्रदान की जाती है। आपने महाविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न पाठ्यक्रमों की विस्तृत जानकारी दी। संत हिरदाराम इंस्टीट्यूट आॅफ मैनेजमैंट से पधारे डाॅ. कपिल सचदेव ने छात्राओं को एम.बी.ए. पाठ्यक्रम की विोषता बताते हुए कहा कि वर्तमान दौर स्मार्ट एजुकेान का दौर है अतः महाविद्यालय का चुनाव सोच-समझ कर किया जाना चाहिए। आपने अलग-अलग एम.बी.ए. पाठ्यक्रम की जानकारी बड़े रोचक ढंग से दी जिससे छात्राएँ अपनी रूचि के अनुसार पाठ्यक्रम चुन सकें। ग्यारहवीं कक्षा की कु. कािा सोनी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए अपनी सीनियरस को उनके आगामी जीवन के लिए शुभकामनाएँ दीं एवं भावपूर्ण विदाई दी। कािा ने कहा कि कोविड के कारण गत दो वर्षों से विद्यालय में आपसे मिलना कम ही हो पाया किन्तु जब भी जितना समय मिला, हमने आपसे बहुत कुछ सीखा और जाना। बारहवीं कक्षा की कु. कािा चंदनानी ने भाऊजी के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा कि आपके द्वारा सिखाई गई सभी महत्त्वपूर्ण बातों को हम हमेाा याद रखेंगी। विद्यालय के पहले दिन जहाँ मन में भय था वहीं आज मन में विद्यालय छोड़ने का दुख है। कु. मनमीत कौर ने अपने भावों को रोचक कलात्मक अभिव्यक्ति देते हुए श्रद्धेय सिद्ध भाऊजी को विवास दिलाया कि चाहे हम विद्यालय से दूर क्यों न चले जाएँ पर विद्यालय में सीखे गए संस्कार सदैव हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे। कु. नीता वाधवानी ;कक्षा-बारहवींद्ध ने कहा कि भाऊजी की कही यह बात गाॅठ बाँध ली है कि हमारे सच्चे हितैषी केवल माता-पिता और गुरूजन होते हैं अतः उनकी सीख सदैव याद रखनी चाहिए। आपने विवास दिलाया कि कठोर परिश्रम कर, जीवन में उच्च स्थान पर पदोन्नत हो मैं विद्यालय का नाम रोान करूँगी।
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