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संत हिरदाराम नगर :- विशाल निरंकारी संत समागम सम्पन्न प्रभु परमात्मा का एहसास करते हुए भक्ति करे - सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज
भोपाल - निरंकारी प्रमुख सतगुरु माता सुदीक्षा महाराज की पावन हुजूरी में भोपाल एम.वी.एम कालेज ग्राउंड में विशाल निरंकारी संत समागम सम्पन्न हुआ इस संत समागम में हजारों की संख्या में श्रद्धालु, भक्तजन इकठे हुए। इस संत कार्यक्रम में आध्यात्मिक गीत, विचार, कवि दरबार आदि के माध्यम से भक्तजनों ने आशीर्वाद प्राप्त किया।इस अवसर पर सतगुरु माता जी ने पावन संदेश देते हुए कहा कि इस सत्संग प्रागण कार्यक्रम में जितने भी भक्त सत्संग को श्रवणकर रहे है इन वचनो को अपने जीवन में उतारे ताकि यह जिंदगी संवर जाए। अनेको महापुरुषो ने बार बार यही संदेश दिया कि मानव के शरीर में आए है तो वो शरीर प्राप्त करने का जो असली उददेश्य है कि इस प्रभु परमात्मा को पहचान ले ताकि खुद का भी पता चल जाए कि हम केवल शरीर नहीं है जब शरीर खत्म हो जाता है तो आत्मा को ही इस परमात्मा से मिलना है इसी से आए है तो केसे हमने पल पल हम इस प्रभु परमात्मा को ध्यान में रखकर जब हर कार्य करते जाते है तो सही मायने में वही भक्ति है क्योकि जब इस प्रभु परमात्मा का एहसास होता है तो हर पल यह भक्ति करनी संभव होती है भक्ति कोई मुश्किल चीज नही की हमे घर, समाज या संसार से अलग रहकर भक्ति करेे तभी भक्ति संभव होंगी नहीं हमे तो समाज, घर, परिवार में रहकर भक्ति इतनी सहज सरल करते हुए हर पल हम प्रभु परमात्मा का एहसास करते हुए जो कुछ भी कार्य करे तो वो कार्य निश्चित ही हमारा बहुत ही अच्छा कार्य होगा फिर वो किसी को कष्ट नहीं पहुंचाने वाला कार्य होगा क्योकि यह एहसास कि परमात्मा तो हर समय हमारे साथ है और यह जो नजर परमात्मा की हम सब पर है जब हम देखते है जब बच्चो को पता होता है कि टीचर परीक्षा के समय घूम रहे है बच्चे भी बिल्कुल नकल नही करते क्योकि पता है टीचर की नजर हमेशा सामने है उसी प्रकार यह परमात्मा का जब पता होता है कि हर समय हमें देख रहा है तो गलत कार्य भी उसी प्रकार नही होते इसलिए जब हम कुछ भी कर रहे होते है तो हमे यह एहसास, चेतनता आ जाती है कि इस प्रभु परमात्मा की नजर हमेशा हम सब पर है हमे संसार में ऐसे कार्य करने है जो हमारे लिए एवं संसार के लिए एक बहुत ही उत्तम कार्य हो सकते है। हम अपने मनो में प्यार रखकर जब कोई कार्य करेगे वो बहुत अच्छी तरह कार्य भी होगे। भक्तो ने यह भी बात समझाई कि एक अगर हम यह ठान ले कि अच्छे मानव बनकर जहां पूरे संसार के लिए सुख शांति एवं अमन का पैगाम मुख से ही नहीं देना खुद अपने व्यवहार में पैगाम को ढ़ालना है ताकि कई बार कुछ कार्य अगर किया जाता है तो वो कार्य अपने आपमें ही प्रमाण बन जाए कथनी करनी में फर्क न हो। अगर किसी चीज की सिर्फ चर्चा करते रहेंगे तो वो चर्चा इतनी अच्छी से समझ नही आती जितना कि देखकर सामने उसी प्रकार उदाहरण के तौर पर हम पानी का जिक्र करते है तो जिक्र करने से प्यास नही बुझेगी पानी को प्यास बुझाने के लिए मुंह में डालना पडेगा। हम परमात्मा का नाम तो लेते है इसकी पूजा अर्चना भी करते है पर यह भक्ति तभी संभव है जिस तरह पानी को मुँह में डालकर पानी की प्यास बुझती है वैसे ही परमात्मा को रुबरु देखकर एहसास किया जाता है तभी भक्ति संभव है, जब सेवा, सिमरन, सत्संग को जब जब हम भक्ति का आधार बनाकर इस पर चलते है तेा यह लिव तार प्रभु परमात्मा से अपने आप जुड जाती हैे हर पल जहां हमने अपने आपको सुधार करते हुए वहीं किसी ओर की गलतियां छुपने वाली हो तो उसको भी नजर अंदाज करना है और यह भाव हमेशा मन में बना रहे अगर हमारे बोल या कर्म से अगर औरो को चोट पहुंचा रहे है तो उसके लिए भी परमात्मा से क्षमा मांगनी है। संत हमेशा ही संत प्रवृति के गुणो को अपनाते हुए जख्मो पर एक मलहम लगाने का कार्य करते है न कि जख्मों पर नमक छिडकने का कार्य जब किसी की बुराइयां देख भी ले तो उसको दोहराया न जाए केवल हमें दूसरों की अच्छाईया ही अच्छाईया देखनी है। अगर किसी गुलाब की बात करे तो फूल की प्रवृति यह रहती है कि कैसे कलियां खिल जाए वो खुशबू वो रंग न कि उस पर ध्यान जाता हैै कि हमारे शरीर मेे कांटे लगे है गुलाब का काम तो महक देना ही होता है उसी प्रकार हमने भी अपने अंदर झांककर वो अच्छे गुण अपने अंदर भी तराशने है। जब हम इस प्रभु परमात्मा को पा लेते है तो हमारा जीवन स्वयं सहज हो जाता है फिर वो कार्य भी कार्य नही रहते वह तो केवल समाज के लिए सेवा वाले भाव ही बन जाते है हमे नि स्वार्थ भाव से सेवा भाव अपनाते हुए दातार से प्रार्थना करनी है कि इंसान का आना और जाना तो लगा रहता है लेकिन जीते जी हम संसार के लिए अच्छे कर्म करें। संतों ने युगो युगो से यही फरमाया है हमे अपने अंदर से परमात्मा दिखे। हम अक्सर परमात्मा का स्मरण करना भूल जाते है और सांसारिक कार्यो को प्राथमिकता देते है पर जब हमे पता है कि शरीर को नहीं रहना है तो हमको समर्पित भाव से सेवा करके सभी के लिए एक वरदान साबित होना है।
इस विशाल निरंकारी संत समागम में जहां हजारों की संख्या में प्रदेश भर के अलावा आसपास प्रदेशो से भी श्रद्धालुगणों ने सतगुरु माता जी के पावन वचनो को श्रवण किया एवं सतगुरु माता जी के वचनों को अपने जीवन में उतारने का संकल्प लिया। सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का एवं साध संगत प्रशासन का तहे दिल से आभार जोनल इंचार्ज अशोक जुनेजा जी द्वारा किया गया।
इस सत्संग कार्यक्रम में बाल प्रदर्शनी, आकर्षण का केन्द्र बनी।
प्रवक्ता
कन्हैयालाल साधवानी
संत निरंकारी मण्डल
बैरागढ जोन 24-ए म.प्र.
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